Sinus bradycardia

 

Sinus Bradycardia: कारण, लक्षण, उपचार - पूरी जानकारी हिंदी में <

💓 Sinus Bradycardia क्या है? (MBBS स्तर की पूरी जानकारी)

Sinus Bradycardia एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिल की धड़कन सामान्य से धीमी हो जाती है। सामान्य हृदयगति 60-100 बीट प्रति मिनट होती है, लेकिन साइनस ब्रैडीकार्डिया में यह 60 bpm से कम

📌 परिभाषा (Definition)

Sinus bradycardia तब होती है जब साइनस नोड, जो कि दिल का नैचुरल पेसमेकर होता है, धीमी दर से सिग्नल भेजता है, जिससे हृदयगति घट जाती है।

🧠 कारण (Causes of Sinus Bradycardia)

  • ⛹️‍♂️ प्रशिक्षित एथलीटों में स्वाभाविक
  • 🛏 नींद के दौरान स्वाभाविक हृदयगति में कमी
  • 🧪 हाइपोथायरायडिज्म
  • 💊 दवाइयाँ जैसे Beta blockers, Digoxin
  • ⚡ वागल स्टिमुलेशन (जैसे पेशाब, उल्टी)
  • 🧊 Hypothermia
  • 🫀 Myocardial infarction (MI)

⚠️ लक्षण (Symptoms)

  • थकान और कमजोरी
  • चक्कर आना
  • बेहोशी (Syncope)
  • धीमा और गहरा श्वास
  • धड़कन की अनियमितता
  • सीने में भारीपन या दर्द

🧪 जांच (Diagnosis)

  1. ECG (Electrocardiogram) – सबसे जरूरी जांच
  2. 24 घंटे का Holter Monitor
  3. Thyroid Profile (T3, T4, TSH)
  4. Serum Electrolytes Test
  5. Echo Cardiography

💊 इलाज (Treatment of Sinus Bradycardia)

अगर लक्षण नहीं हैं, तो उपचार की जरूरत नहीं। लेकिन यदि लक्षण दिखें तो:

📍 1. दवाओं का बंद करना या बदलना:

जैसे Beta blockers या Digoxin बंद करें।

📍 2. Atropine Injection:

डोज: 0.5 mg IV हर 3-5 मिनट पर। अधिकतम: 3 mg

📍 3. Temporary Pacemaker:

अगर Atropine से फायदा न हो।

📍 4. Permanent Pacemaker Implantation:

क्रॉनिक ब्रैडीकार्डिया या Sick Sinus Syndrome में लगाया जाता है।

🍎 जीवनशैली और खानपान

  • कैफीन और अल्कोहल से बचें
  • तनाव कम करें
  • इलेक्ट्रोलाइट्स संतुलित रखें
  • योग और प्राणायाम मददगार हो सकते हैं

🩻 ECG में Sinus Bradycardia कैसा दिखता है?

✅ Regular rhythm
✅ Normal P wave before each QRS
✅ PR interval normal
✅ Heart Rate < 60 bpm

Sinus Bradycardia ECG Image

❓ कब डॉक्टर को दिखाएं?

  • बार-बार चक्कर आना
  • सांस लेने में कठिनाई
  • अत्यधिक थकावट या बेहोशी

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📌 निष्कर्ष (Conclusion)

Sinus Bradycardia अक्सर हानिरहित हो सकती है लेकिन यदि लक्षण प्रकट हों, तो उचित जांच और उपचार आवश्यक है। ECG से इसकी पुष्टि की जाती है और ज़रूरत पड़ने पर पेसमेकर लगाया जाता है। अगर आप दिल की किसी भी समस्या का अनुभव कर रहे हैं, तो तुरंत कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करें।

🖋 लेखक: Mahafooz Ansari

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